धरमजयगढ़ के ग्रामीण गन्दा चावल खाने को मजबूर, चावल की गुड़वात्ता की नहीं कर रहें अधिकारी जांच, क्या भाजपा सरकार के कार्यकाल में योजना का राशन वितरक अपने फायदे के लिए कर रहें इस्तेमाल…..?

धरमजयगढ़ क्षेत्र में आए दिन कई प्रकार के भ्रष्टाचार उजागर होते रहते है जिसमें सबसे बड़ा भ्रष्टाचार राशन वितरण को लेकर सामने आ रहा है। हाल ही में शासन की महत्वपूर्ण योजना के तहत तीन महीने का राशन वितरण करने की योजना बनाई गई है जिसमें भारी मात्रा में राशन वितरको द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है, कई ग्राम पंचायत ऐसे है जिसमें हितग्राहियों का अंगूठा लगवाकर उन्हें राशन वितरण नहीं किया गया हैं वही कई ग्राम पंचायत ऐसे हैं जिनका 3 महीने का राशन वितरण के लिए अंगूठा तों लें लिया गया पर किसी को 1 महीने का ही राशन वितरण किया गया तों किसी को 2 महीने का राशन दिया गया वही अन्य राशन ज़ब ग्रामीणों से मांगा गया तब वितरको द्वारा कहा गया की कुछ दिन बाद राशन दिया जाएगा।
*अंगूठा अभी राशन बाद में*
सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता हैं की ज़ब हितग्राही को 1-2 महीने का ही राशन दिया जा रहा हैं तों उनसे 3 महीने का अंगूठा किस बात का करवाया जा रहा। क्या राशन वितरको को यह अधिकार हैं की वह बिना राशन दिए अंगूठा लगवा सकते हैं?क्युकी नियम यह कहता हैं की अंगूठा लगाने के साथ ही राशन वितरण किया जाना हैं।

*शासकीय काटे में बाट चढ़ाकर प्राइवेट काटे से वजन तौल*
शासन के नियम अनुसार जिस शासकीय काटे का भौतिक सत्यापन खाद्य विभाग द्वारा किया गया हैं उसी में हितग्राहियों को वजन कर राशन वितरण करना हैं पर कई दूकान ऐसे हैं जहा अन्य चीजे चढ़ाकर शासकीय काटे पर तौल किया जा रहा और प्राइवेट काटे में तौल कर ग्राहकों को राशन दिया जा हैं, ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं?
*योजना का उठा रहें वितरक फायदा….?*
एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा की कही ऐसा तो नहीं की धरमजयगढ़ में जिन दुकानों पर रिकवरी हैं वह अपना रिकवरी पूरा करने के लिए नियम का गलत तरीके से फायदा उठा रहें हैं क्युकी 3 महीने का अंगूठा लगाने के बाद हितग्राहियों को कम चावल दिया जा रहा जिससे वितरक द्वारा यह दर्शा दिया जाएगा की उन्होंने तो पूरा वितरण कर दिया हैं और कही हितग्राहियों से काटे हुए राशन को वह सभी अपना रिकवरी पूरा करने में इस्तेमाल तो नहीं करेंगे…? वही गांव के ग्रामीण जो शिक्षा के आभाव में कुछ समझ नहीं पाते और दुकानदारों की गोल मटोल बातों में आकर रह जाते हैं जिससे समय बीत जाने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है और दुकानदारों के लिए फायदे का सबब बन जाता है।

*गन्दा चावल खाने को ग्रामीण मजबूर*
मुख्य शहर से अगर अंदर जाए तब कई ऐसे ग्राम पंचायत मिलेंगे जो पहाड़ी क्षेत्रों में बस्ते है और उन ग्राम पंचायतों में ग्रामीण गन्दा और लाल चावल खाने को मजबूर है जिसमें सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता की क्या धरमजयगढ़ में चावल की गुड़वत्ता चेक करने कोई अधिकारी अपने क्षेत्र नहीं जाते या फिर उनकी नज़रों के सामने ग्रामीण खराब चावल खाने को मजबूर हो रहें हैं। क्युकी इससे पहले भी एक जगह राशन वितरण करने के लिए खराब चावल भेज दिया गया जिसे मिडियाकर्मियों के माध्यम से अधिकारीयों के संज्ञान में लाने के बाद उस उचित मूल्य की दूकान से चावल वापस मंगवाया गया जिसपर गोदाम के प्रभारी और ट्रांसपोर्टर पर क्या कार्यवाही हुई समझ से परे हैं
*क्या कहते हैं अधिकारी*
ज़ब इस सम्बन्ध में हमने धरमजयगढ़ के क्वालिटी चेक अधिकारी गीताराम महिलांगे को फ़ोन लगाया तब उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया वही वेयरहाउस के प्रभारी को भी फ़ोन लगाया तब उन्होंने भी फ़ोन नहीं उठाया।
