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विधायक लालजीत राठिया का घटता जनाधार और सांसद राधेश्याम की बढ़ती लोकप्रियता के आखिर क्या है सियासी मायने..?

2023 विधानसभा चुनाव से पहले विधानसभा में एक ही बड़े नेता लग रहें विधायक लालजीत राठिया का जनाधार अब बहुत ही घटता नज़र आ रहा है उनकी लोकप्रियता बहुत ही तेजी से कम होती जा रही है क्षेत्र के लोगों का कहना है कि विधायक को लगता है की इस क्षेत्र में उनके बराबर लोकप्रियता और उनका कोई विकल्प नहीं होगा परन्तु 2023 के विधानसभा चुनाव में उनके सारे दावे चकनाचूर होते नज़र आ रहें थे। एक समय ज़ब वह 40000 से अधिक वोटो से जीत दर्ज किए थे वही इस विधानसभा चुनाव जनता ने उन्हें लगभग 9000 पर उतार दिया। ऐसा परिणाम आने के बाद ऐसा लग रहा मानों उन्होंने सक्रिय राजनीती से दुरी बना ली है और विधानसभा के विकास और दौरा को लेकर बहुत ही उदासीन नज़र आ रहें हैं। सोने पर सुहागा यह हुआ है कि जबसे राधेश्याम राठिया जो धरमजयगढ़ विधानसभा से आते हैं रायगढ़ लोकसभा सीट से जीत कर आए है तब से लोगों ने उन्हें विधायक के रूप में बेहतर विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया है राधेश्याम के सहज उपलब्धता और कुशलता लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है और लोंग उनसे जुड़ रहें हैं। वही विधायक की निष्क्रियता का आलम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनका कार्यालय जो मुख्यालय धरमजयगढ़ में है उसकी हालत अति जर्ज़र है। तस्वीर में साफ देख सकते है की विधायक कार्यालय की हालत कितनी खराब है सूखे पत्ते और झाड़िया ऐसे पड़ी है मानों यह कोई भूत बंगला हो, इन सभी चीजों को देखकर ऐसा लगता है मानों उन्होंने 2028 के चुनाव से पहले ही हार स्वीकार कर ली हो।एक जमाने में दिग्गज कांग्रेसी रहें कई लोंग अब भाजपा में शामिल हो गए और कई लोंग इस लाइन में लगे पड़े है। अगर उनकी बात सुनी जाए तो उसके कहे अनुसार ऐसा लगता है मानों विधायक कहते हैं की उनके अलावा कोई कांग्रेस में रहें ही ना। और जो बचें हैं वह भी भाजपा में चले जाए, उनको धरमजयगढ़ से कोई लेना देना नहीं इसका सबसे बड़ा उदाहरण धरमजयगढ़ नगरीय निकाय चुनाव एवं त्रि-स्तरीय चुनाव में देखने को मिला। एक तरफ जहाँ सांसद अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने के लिए दिन रात उनके समर्थन में वोट मांगते नज़र आ रहें थे। वही इसके विपरीत इस चुनाव में विधायक की निष्क्रियता देख खुद कांग्रेसी सदमे में आ गए थे की ना ही उन्होंने प्रत्याशी चयन में रूचि दिखाई ना ही उन्होंने प्रचार प्रसार में ध्यान दिया। ना तो उन्होंने हारे हुए प्रत्याशियों को संतावना दिया ना ही जीत की भरपूर प्रयास की, वही उन्होंने जनपद अध्यक्ष चुनाव को लेकर भी कोई रूचि जाहिर नहीं की वह अगर अपना भरपूर प्रयास करते और चाहतें तब जनपद पर अपना कब्ज़ा बरकरार रख सकते थे। पर वह शायद अपनी सीट बरकरार रखने के लिए आज तक किसी आदिवासी नेता को अपने से ऊपर लें जाने का प्रयास नहीं किया जिस कारण अब कांग्रेस वोटरों में भी अब नाराजगी देखने को मिल रही है, लोंग मुखर होकर उनकी निष्क्रियता की कहानी बया कर रहें हैं। अब देखना यह होगा की आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता उनकी निष्क्रियता का क्या परिणाम उन्हें देती है।

Mukesh Mourya

मुकेश मौर्य (संपादक) ग्रामीण न्यूज़ 24 , पता - रायगढ़ , छत्तीसगढ़ मो . +919752981420

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