शेड बनाकर मुआब्जा लेने के मामले में हो रही बड़ी कार्यवाही, कई अधिकारी कर्मचारियों पर गिर सकती है गाज

प्रदेश के सबसे बड़े भूमि घोटाले, बजारमुड़ा कांड, पर अब सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया है। घोटाले के मामले में अधिकारियों ने कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है और आठ सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नाम तय किए गए हैं, जिनकी नोटशीट चल रही है। इस मामले में तत्कालीन एसडीएम और तहसीलदारों पर भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।रायगढ़ जिले में भूमि अर्जन घोटालों को पहले गंभीरता से नहीं लिया गया था। जब भी घपले हुए, तत्कालीन अधिकारियों ने घपले की जानकारी मिलने के बाद भी तत्काल कार्रवाई नहीं की। बजरमुड़ा कांड में ऐसा ही हुआ, जिसके परिणामस्वरूप 400 करोड़ रुपये का घोटाला हो गया। छत्तीसगढ़ सरकार की कंपनी सीएसपीजीसीएल को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर-3 के लिए बजरमुड़ा और अन्य पांच गांवों में 449.166 हेक्टेयर भूमि का लीज स्वीकृत किया गया था।सुरक्षा और सही मूल्यांकन की कमी के कारण बज्जरमुड़ा में इस घोटाले ने आकार लिया। एसडीएम घरघोड़ा, अशोक मार्बल, को प्रभावितों को मुआवजा राशि का आकलन करने का कार्य सौंपा गया था। 22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया, जिसमें केवल बाजरमुड़ा के 170 हेक्टेयर भूमि पर 478.68 करोड़ रुपये का मुआवजा पारित किया गया था, जिसे बाद में 415.69 करोड़ रुपये कर दिया गया। इस घोटाले में असिंचित भूमि को सिंचित, पेड़ों की संख्या को बढ़ा चढ़ाकर और अन्य परिसंपत्तियों का मनमाना आकलन किया गया। जांच टीम ने पाया कि मुआवजा निर्धारण में व्यापक गड़बड़ी की गई थी। यहां तक कि एक भूमि पर जहां 20 लाख रुपये का मुआवजा मिलना था, वहां 20 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। इस घोटाले में शामिल अधिकारियों ने घोटाले की जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की।इस मामले में कुछ अधिकारियों के खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई पहले की गई थी, जैसे पटवारी जितेंद्र पन्ना और मालिकराम राठिया को सस्पेंड किया गया था। अब, जांच टीम की रिपोर्ट के बाद, बाकी जिम्मेदारों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन एसडीएम और तहसीलदारों के अलावा कुछ कर्मचारियों के नाम भी दोषी के रूप में सामने आए हैं। इन अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की भी संभावना जताई जा रही है।रेल लाइन और अन्य भूअर्जन घोटाले की जांच भी जारी
बजरमुड़ा घोटाले के बाद, प्रशासन को अन्य भूअर्जन मामलों में भी सतर्क रहनाचाहिए था। तमनार और घरघोड़ा क्षेत्र में भूअर्जन घोटालों के लिए एक गिरोह सक्रिय है, जिसमें भूमाफिया, दलाल, अफसर, और उद्योगपति शामिल हैं। इनकी गिरफ्त में प्रशासन बौना साबित हो चुका है।
नए रेल लाइन प्रोजेक्ट और कोल ब्लॉक के भूअर्जन में भी घपला किया गया है।रेल लाइन के लिए भालुमुड़ा से गारे पेलमा तक भूमि का 2 नवंबर 2022 को ड्रोन से सत्यापन किया गया, जिसमें कई घपले सामने आए। टिन शेड्स को पोल्ट्री फार्म बताया गया, जबकि वास्तविकता में वे अस्थायी थे और किसी भी प्रकार का बिजली कनेक्शन नहीं था। इस संबंध में इरकॉन ने शिकायत की थी, लेकिन इसे दबा दिया गया। अब, प्रशासन को इन घोटालों की जांच में और अधिक कड़ी कार्रवाई करनी होगी, ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों से बचा जा सके।
वही खबर सामने आ रही है कि धरमजयगढ़ में भी ऐसी ही बड़ी कार्यवाही देखने को मिल सकती है