ना अपील ना वकील ना दलील सीधा निर्णय…, सूरजपुर मामले को लेकर जिले के साथ धरमजयगढ़, कापू, छाल तहसीलदारों में भी दिख रहा आक्रोश…

न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर निलंबन, प्रशासनिक तंत्र की निष्पक्षता पर प्रश्न”संघ ने सूरजपुर के तहसीलदार संजय राठौर के विरुद्ध बिना पूर्व सूचना और स्पष्टीकरण के की गई निलंबन कार्यवाही को न्यायिक प्रक्रिया और ‘न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम’ की भावना का उल्लंघन बताया है।
तहसीलदार व नायब तहसीलदार राजस्व न्यायालय में पीठासीन अधिकारी होते हैं और उनके निर्णयों के विरुद्ध विधिक अपील व पुनरीक्षण की प्रक्रिया पहले से उपलब्ध है। संघ का कहना है कि ऐसे मामलों में यदि शिकायत मिलती है तो उचित प्रक्रिया के तहत जांच और सुनवाई की जानी चाहिए, न कि सीधे कठोर कार्रवाई का सहारा लिया जाना चाहिए।जिसको लेकर सभी जगहों के कनिष्ठ प्रशाशनिक सेवा संघ माननीय मुख्यमंत्री, माननीय राजस्व मंत्री, माननीय मुख्य सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग, एवं अन्य मंत्रालय, महानदी भवन, नवा रायपुर (छ.ग.) को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया है जिसमें तहसीलदार संजय राठौर सहित प्रदेश के अन्य तहसीलदार / नायब तहसीलदारों पर की गई अनुचित प्रशासनिक कार्यवाही के विरुद्ध विरोध एवं बहाली हेतु मांग कर रहें हैं।
वर्तमान में प्रदेश के तहसीलदार एवं नायब तहसीलदारों द्वारा राजस्व प्रशासन के समस्त दायित्वों का निर्वहन अत्यंत कठिन परिस्थितियों में किया जा रहा है। सभी कार्य ऑनलाइन मोड में संचालित होने के कारण, अधिकारी को प्रतिदिन व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहकर कार्य संपादित कराने की अनिवार्यता बनी रहती है।जिसमें प्रमुख बिंदु निम्नानुसार हैं:
1. ई-कोर्ट में राजस्व न्यायालय के अंतर्गत विवादित व अविवादित प्रकरणों की सुनवाई हेतु वाचक, कंप्यूटर ऑपरेटर, एवं तकनीकी सहयोग की आवश्यकता रहती है, जो तहसीलों में अनुपलब्ध हैं।
2. भुइयां पोर्टल में सभी प्रकार के अविवादित आवेदनों का OTP आधारित निराकरण केवल अधिकारी की उपस्थिति में ही संभव है।
3. सामान्य प्रशासनिक कार्य जैसे आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र, त्रुटि सुधार, जनदर्शन, जनशिकायत, टीएल, एवं स्वामित्व योजना आदि सभी पूर्णतः ऑनलाइन हैं, परंतु इनकी प्रक्रिया में सहयोग हेतु स्टाफ एवं ऑपरेटरों की भारी कमी है।
4. निर्वाचन दायित्व अंतर्गत AERO के रूप में फॉर्म 6, 7, 8 से संबंधित नामांकन, विलोपन, संशोधन जैसे सभी कार्य भी अधिकारियों द्वारा ही किये जा रहे हैं।
5. कृषक पंजीयन (AgriStack Portal) में पंजीयन, सत्यापन, स्वीकृति की समस्त प्रक्रिया भी अधिकारियों द्वारा ही संपादित की जाती है।
6. अधिकांश तहसीलों में शासकीय वाहन, ईंधन एवं ड्राइवर उपलब्ध नहीं हैं। बावजूद इसके अधिकारी प्रोटोकॉल एवं कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के रूप में दिन-रात्रि ड्यूटी करते हैं।
इन विषम परिस्थितियों के बीच अधिकारीगण स्वयं के संसाधनों से कार्यों का निष्पादन कर रहे हैं। परंतु अत्यंत खेद का विषय है कि कई बार बिना समुचित न्यायिक प्रक्रिया के पालन के, सिर्फ शिकायत या पोर्टल पर प्राप्त आवेदन के आधार पर तहसीलदार/नायब तहसीलदारों के विरुद्ध कार्यवाही की जा रही हैं
ताजा उदाहरण के रूप में जिला सूरजपुर के तहसीलदार संजय राठौर को न्यायालयीन आदेश के परिप्रेक्ष्य में बिना पूर्व सुनवाई के निलंबित किया गया है। यह कार्यवाही न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम की भावना के भी विपरीत प्रतीत होती है, क्योंकि तहसीलदार/नायब तहसीलदार राजस्व न्यायालय में बतौर पीठासीन अधिकारी कार्य करते हैं, जिनके निर्णयों के विरुद्ध विधिक उपाय जैसे अपील, पुनरीक्षण आदि उपलब्ध हैं। जिसका विरोध करते हुए संघ की कुछ प्रमुख मांगे हैं
संघ की मांगेंः
1. शासन एक सप्ताह के भीतर संजय राठौर जी को निलंबन से तत्काल प्रभाव से बहाल करे।
2. विगत काल में अनुचित रूप से निलंबित किये गये अन्य तहसीलदार /नायब तहसीलदारों की वास्तविक परिस्थितियों की समीक्षा कर, उचित न्यायिक प्रक्रिया के पश्चात बहाली की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
3. राजस्व प्रशासन के डिजिटल स्वरूप को देखते हुए प्रत्येक तहसील में तकनीकी स्टाफ, ऑपरेटर, वाहन एवं न्यूनतम संसाधन तत्काल उपलब्ध कराए जाएं ताकि लोक सेवा गारंटी के तहत समयबद्ध सेवाएं दे पाना संभव हो सके।
संघ यह स्पष्ट करता है कि यदि इस विषय में शीघ्र एवं सकारात्मक पहल नहीं की जाती, तो प्रदेशभर के तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार आंदोलन हेतु बाध्य होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन की होगी।