धरमजयगढ़: अडानी कंपनी की प्रस्तावित पुरंगा कोयला खदान का ग्रामीणों ने किया विरोध “जल, जंगल, जमीन और हाथियों के घर को नष्ट नहीं होने देंगे
धरमजयगढ़ विकासखंड के अंतर्गत आने वाले समरसिंघा, पुरंगा और तेंदुमुरी ग्राम पंचायतों के हजारों ग्रामीणों ने आज एक विशाल आमसभा आयोजित कर अडानी समूह (मैसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड) की प्रस्तावित पुरंगा अंडरग्राउंड कोल ब्लॉक परियोजना का कड़ा विरोध किया।प्रस्तावित खदान का कुल क्षेत्रफल 869.025 हेक्टेयर है, जिसमें से 387.011 हेक्टेयर वन भूमि तथा 314.708 हेक्टेयर आरक्षित वन (रिज़र्व फॉरेस्ट) शामिल है। यह पूरा क्षेत्र पाँचवीं अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहाँ पेसा कानून 1996 एवं छत्तीसगढ़ पेसा कानून 2022 पूर्ण रूप से लागू हैं।
इस परियोजना की जनसुनवाई की तिथि 11 नवंबर 2025 घोषित की गई है।सभा की शुरुआत आदिवासी परंपरा के अनुसार नारियल और चावल से पूजा-अर्चना कर की गई। इसके बाद ग्रामीणों ने एक स्वर में संकल्प लिया कि वे अपने जल, जंगल, जमीन और वन्य जीवों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे। ग्रामीणों ने कहा कि खदान शुरू होने से वन क्षेत्र, हाथियों का आवास और स्थानीय पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ेगा।सभा में उपस्थित महिलाओं ने अडानी कंपनी द्वारा बनाए जा रहे सामुदायिक भवन के गड्ढे को स्वयं भरकर बंद कर दिया और स्पष्ट कहा कि वे किसी भी परिस्थिति में कंपनी को अपने क्षेत्र में कार्य नहीं करने देंगी।
*ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की आवाज़*सभा में उपस्थित विधायक लालजीत सिंह राठिया ने ग्रामीणों की भावना का समर्थन करते हुए कहा कि बिना ग्रामसभा की सहमति के किसी भी परियोजना को लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की कि प्रस्तावित कोयला खदान की जनसुनवाई को तुरंत निरस्त किया जाए।
*जंगली हाथियों के टापू छाल रेंज में प्रस्तावित कोल ब्लॉक*धरमजयगढ़ वनमंडल का कुल क्षेत्रफल 1,71,341.90 हेक्टेयर है। वर्ष 2001 से अब तक 167 ग्रामीणों की मृत्यु हाथियों के हमले से हो चुकी है, जबकि 2005 से अब तक 68 जंगली हाथियों की मौत भी दर्ज की गई है।छाल रेंज, जो घने जंगलों से घिरा हुआ है, का कुल रकबा 16,782.710 हेक्टेयर है। अब तक इस रेंज में 54 ग्रामीणों की मृत्यु हाथियों के हमले से और 31 जंगली हाथियों की मृत्यु दर्ज की गई है।ऐसे में छाल क्षेत्र के पुरंगा अडानी प्रस्तावित कोल ब्लॉक के शुरू होने से हाथियों को वन विभाग द्वारा संरक्षित कर पाना अत्यंत कठिन हो जाएगा। अब देखना यह है कि शासन इस कोल ब्लॉक को लेकर क्या रुख अपनाता है