डी ए व्ही स्कूल धरमजयगढ़ में दिखी संस्कृति और संस्कार की एक सुंदर सी झलक

महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक और एक महान समाज सुधारक थे उनका जन्म 1824 में गुजरात में हुआ था उन्होंने वेदों के महत्व को पुनर्जीवित किया और ”वेदों की ओर लौटो”का नारा दिया। उन्होंने बाल विवाह सती प्रथा और जाति व्यवस्था जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध किया इनकी स्मृति में 1886 में महात्मा हंसराज के प्रयासों से लाहौर में पहला डी ए व्ही (दयानंद एंग्लो वैदिक ) विद्यालय की स्थापना किया गया। जो पूरे भारत भर में है जिसकी आज समाज में भुमिका यह है कि युवाओं को शिक्षित करना,रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करना, उनके द्वारा सामाजिक समस्याओं को हल करना तथा समाज को सकारात्मक शक्तियों से सशक्त करना है

आज ऐसे ही समाज को सशक्त कर रहे जो डी ए व्ही विद्यालय से शिक्षा प्राप्त किये जैसे – अटल बिहारी वाजपेयी ,मनु भाकर, साइना नेहवाल ,कपिल देव आदि है डी ए व्ही संस्था विद्यालय के साथ-साथ विश्वविद्यालय भी संचालित करते हैं।डीएवी विद्यालय में सीबीएसई शिक्षा देने के साथ ही संस्कार सनातन एवं वेदों का समावेशन हैं इसी समावेशन का अनुसरण करते हुए शिक्षा के नए सत्र का आरंभ करते हुए डी ए व्ही विद्यालय धरमजयगढ़ में हवन का आयोजन किया गया जिसमें छोटे-छोटे बच्चों तथा शिक्षक शिक्षिकाओं के द्वारा वेद मत्रों का उच्चारण करते हुए हवन किया गया तथा गायत्री मंत्र का जाप किया गया इस दौरान विद्यालय के प्रधानाचार्य सुरेंद्र सिंह द्वारा हवन के महत्व के बारे में बच्चों को बताया तथा उन्होंने कहा हवन करने से वातावरण में शुद्धता और मन में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है